भारतीय बाजार में हुनरमंद होने की मांग

 भारतीय बाजार में हुनरमंद होने की मांग बहुत अधिक है, जिससे युवा वर्ग आत्मनिर्भर और रोजगार देने वाले बन सकते हैं। वर्तमान में, तकनीकी और प्रबंधन क्षेत्र में करियर के अवसर अधिक आकर्षक होते जा रहे हैं।

*कुछ उच्च मांग वाले कौशल क्षेत्र हैं:*

- *सॉफ्टवेयर विकास*: सॉफ्टवेयर डेवलपर, आईटी कंसल्टेंट, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर और डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर जैसे पदों की मांग बढ़ रही है, जिनका वेतन ₹4,00,000 से ₹15,00,000 प्रति वर्ष हो सकता है।

- *ग्राफिक डिज़ाइन और यूज़र एक्सपीरियंस (UX)*: ग्राफिक डिज़ाइनर, UX/UI डिज़ाइनर और विज़ुअल डिज़ाइनर जैसे पेशेवरों की मांग बढ़ रही है, जिनका वेतन ₹4,00,000 से ₹15,00,000 प्रति वर्ष हो सकता है।

- *वित्तीय विश्लेषण और लेखांकन*: चार्टर्ड फाइनेंशियल एनलिस्ट (CFA), सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (CPA), वित्तीय विश्लेषक और निवेश बैंकर जैसे पेशेवरों की मांग बढ़ रही है, जिनका वेतन ₹7,00,000 से ₹30,00,000 प्रति वर्ष हो सकता है।

- *रोबोटिक्स और ऑटोमेशन*: रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों की मांग बढ़ रही है, जो उद्योगों में स्वचालन की बढ़ती जरूरत के कारण है।

इसके अलावा, सरकार ने 2014 से तीन करोड़ से ज्यादा युवाओं को हुनरमंद बनाया है और रोजगार सृजन के लिए कौशल विकास में निवेश करने का आह्वान किया है। कुछ प्रमुख पहलें हैं ¹:

- *प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)*: इस योजना का उद्देश्य युवाओं को उद्योगों में काम आने वाले कौशल प्रदान करना है, जिससे वे रोजगार पा सकें या स्वरोजगार शुरू कर सकें।

- *रोजगार महाकुंभ और स्वरोजगार योजनाएं*: सरकार ने रोजगार सृजन के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया, जो युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करती हैं।

इन पहलों और मांग वाले कौशल क्षेत्रों के साथ, युवा वर्ग आत्मनिर्भर और रोजगार देने वाले बनने के लिए तैयार हो सकता है। 

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