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जब कोई अल्प विकसित देश जब विकासशील देश बनता है और उसके बाद विकसित देश बनता है तब इस कायाकल्प में समाज में बहुत बड़ा अंतर आ जाता है देश के समाज के प्रत्येक वर्ग में जिसका सबसे बड़ा कारण जनता के जीवन शैली में परिवर्तन हो जाना जिसमें धन मुख्य कारक हो सकता है
परंतु यह भी जरूरी नहीं यहां भी अगर सही से समझा जाए तो ही, और अगर हम बात करें भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019 20 के अनुसार भारत के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के क्षेत्रों में घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है जिसके अनुसार कर्नाटक तेलंगाना असम मिजोरम और बिहार में 30% महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हुई है! शुरू में यह माना जाता रहा था कि घरेलू हिंसा एक समस्या सिर्फ पिछड़े हुए अल्प विकसित देशों की है, जहां पर गरीबी और अशिक्षा है लेकिन यह विश्व के सबसे विकसित देशों में वैसे ही पनप रही है जैसे कि #विकासशील और पिछले देशों में घरेलू हिंसा का प्रसार है पहले #घरेलूहिंसा के संबंध में योगी आकलन था कि यह उन महिलाओं के साथ घटित होती है जो कि कम पढ़ी लिखी और #अनपढ़ और #घरेलूमहिलाएं होती है परंतु यह तथ्य भी गलत सिद्ध हुआ है आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में किसी भी रिश्ते मैं रह रही महिलाओं में से एक तिहाई महिलाएं ही घरेलू हिंसा का शिकार होती है #संयुक्तराष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार घर महिलाओं के लिए अब सबसे #खतरनाक जगह बना हुआ है ? विश्व स्तर में 2017 में 87 हजार महिलाओं और लड़कियों की विश्व भर में हत्या हुई है जिसमें 58% की हत्याएं घरेलू हिंसा की वजह से हुई है दरअसल महिलाओं पर पुरुषों की हिंसा व्यवस्था गत समस्या है जहां पुरुषों को कम उम्र में ही #आक्रामक और #प्रभावशाली व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ! संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष इस बारे में चर्चा करता है की किस तरह ऐसी #विषाक्तमर्दानगी की #भावनाएं युवाओं के #जहन में बहुत छोटी आयु में ही बैठा दी जाती है कि उन्हें ऐसी सामाजिक व्यवस्था का अभी बनाया जाता है जहां पुरुष ताकतवर और नियंत्रण रखने वाला होता है तथा उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि लड़कियों और महिलाओं के प्रति प्रभुत्व का व्यवहार करना ही उनकी #मर्दानगी है महिला स्वास्थ्य और लैंगिक संवेदना पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक लगभग 62% महिलाएं खुद ही मानती है कि पति द्वारा उनकी पिटाई जायज है अब महत्वपूर्ण प्रश्न उत्पन्न या होता है कि आखिर कैसे कोई अपने प्रति हुई हिंसा को जायज ठहरा सकता है ? आखिर दरअसल यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होने वाला हुआ अनुभव है जो स्त्री के भीतर वाले काल में ही रोक दिया जाता है कि वह घर की तथाकथित मान मर्यादा का वाहन करें चाहे उसके लिए उसे किसी भी प्रकार की पीड़ा ही क्यों न जले पड़े और दूसरी तरफ स्वीकारोक्ति की पुरुष का स्वभाव ही क्रोध करना होता है वह घर का कर्ताधर्ता जो है इसलिए क्रोध जनित हिंसा एक बहुत सामान्य और स्वाभाविक बात है! अगर यह बात सभी लोग समझे और एक मंच पर आकर अपने आप भी जागरूक बने और औरों को भी जागरूक करें तो घरेलू हिंसा रोकने के लिए संपूर्ण समाज के सभागीता आवश्यक है घरेलू हिंसा सुधार में युगांडा देश का मॉडल 20 देश अपना रहे हैं #युगांडा में पुरुष स्त्री के संबंधों में समानता लाने और महिलाओं के प्रति पुरुषों के दृष्टिकोण को बदलने के लिए समुदाय में सामंजस्य पूर्ण एवं समानता पर आधारित संबंध बनाने की शिक्षा दी जा रही है इससे यहां पर 52% घरेलू हिंसा के मामलों में कमी आई है!
और अब बात करें दूसरे #घरेलूहिंसा सुधारक मॉडल की तो यह #दक्षिणअफ्रीकादेश का है जहां समुदायों में घरेलू हिंसा की नकारात्मकता को उजागर करना और #लैंगिकसमानता के लाभों को प्रचार करके महिलाओं के स्तर को उठाया जा रहा है इसमें सचमुच समाज में सभी #बुद्धिजीवियों को सामने आना चाहिए और जागरूकता भी बनाने चाहिए क्योंकि पहला #सुधार कार्य #समाज में घर से शुरू होता है!
संपूर्ण समाज को घरेलू हिंसा के दुष्परिणामों के प्रति #जागरूक करने की जरूरत है क्योंकि घरेलू हिंसा किसी महिला मात्र पर चोट नहीं बल्कि यह आने वाली हमारी पीढ़ियों को #मानसिक रूप से #विकृत कर देने वाली व्याधि है !
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