आदिवासियों के राष्ट्रीय राज्य मामले केवल स्थानय अखबारों में प्राथमिकता

राज्य में आदिवासी समुदाय के मामले सिर्फ स्थानीय अखबारों में दिखाई जा रहे हैं जबकि राज्यों के अखबारों की न्यूज़ है पूरे राज्य में यह आने चाहिए थी क्योंकि फर्जी प्रमाण पत्र लेकर के बहुत लोगों ने 25 साल में नौकरियां ली है जिसकी माननीय न्यायालय द्वारा कोर्ट में सवाल जवाब करें जा रहे है और आदिवासी समुदाय को न्याय दिया जा रहा है उनका अधिकार छीना जा रहा है 77 सालों से वही मीडिया इसे लोकल अखबारों में निकल रही है वही यह राज्य की न्यूज़ थी जहां आज आदिवासी समुदाय आज भी जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं वहीं कुछ लोग उनके अधिकारों को हास्य पर रख रहे हैं और आत्मनिर्भर होने के लिए उनके ही अधिकार चुने जा रहे हैं 🤔👥📰

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