ज्योतिमार्ग क्या है

सोमनाथ के बाण स्तंभ पर लिखे श्लोक में 'ज्योतिर्मार्ग' शब्द सबसे गहरा और रहस्यमयी है। इसके मुख्य रूप से दो अर्थ माने जाते हैं, जो विज्ञान और अध्यात्म दोनों से जुड़े हैं: 1. वैज्ञानिक और भौगोलिक अर्थ (The Path of Light) भौगोलिक दृष्टि से 'ज्योति' का अर्थ प्रकाश और 'मार्ग' का अर्थ रास्ता है। * अबाधित प्रकाश: इसका मतलब है कि इस बिंदु (सोमनाथ) से लेकर दक्षिण ध्रुव तक प्रकाश की एक सीधी किरण बिना किसी अवरोध (पर्वत, द्वीप या भूमि) के गुजर सकती है। * खगोलीय संरेखण (Celestial Alignment): प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान (Jyotisha) के अनुसार, यह रेखा एक विशिष्ट देशांतर (Longitude) को दर्शाती है जिसका उपयोग नक्षत्रों की गणना और समय निर्धारण के लिए किया जाता था। 2. आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थ (The Path to the Divine) चूंकि सोमनाथ प्रथम ज्योतिर्लिंग है, यहाँ 'ज्योति' का संबंध भगवान शिव के 'प्रकाश स्वरूप' से भी है। * शिव का मार्ग: 'ज्योतिर्मार्ग' वह पथ माना जाता है जो आत्मा को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। * ऊर्जा का प्रवाह: कुछ विद्वानों का मानना है कि यह रेखा पृथ्वी की एक ऐसी ऊर्जा रेखा (Ley Line) है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह को सीधे ध्रुवीय केंद्र से जोड़ती है। 'अबाधित' शब्द का विशेष महत्व श्लोक में 'अबाधित' (Unobstructed) शब्द का जुड़ना इसे दुनिया का सबसे पुराना 'नेविगेशन मैप' बनाता है: * बिना भूमि का मार्ग: यह पुख्ता करता है कि 10,000 किलोमीटर से अधिक की इस समुद्री यात्रा में एक भी भूखंड नहीं आता। * प्राचीन इंजीनियरिंग: यह स्तंभ इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि हमारे पूर्वजों को न केवल यह पता था कि पृथ्वी गोल है, बल्कि उन्हें 'दक्षिण ध्रुव' (South Pole) जैसी विशिष्ट भौगोलिक स्थितियों की सटीक जानकारी भी थी। यह जानकर आश्चर्य होता है कि आज के सैटेलाइट मैप्स भी इसी बात की पुष्टि करते हैं जिसे हज़ारों साल पहले इस स्तंभ पर उकेर दिया गया था।

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