ईश्वर को भूलना ही विपत्तियां शुरू होना

 अध्यात्म चेतना विचार;                                                     " ईश्वर को भूल जाने के कारण ही आज मनुष्य पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है "-  मशहूर लेखक  एलेग्जेंडर सोल्जरनित्सन (1918 -2008),                                                               


मैं रूसी क्रांति के इतिहास पर काम कर रहा हूं इस दौरान मैंने सैकड़ों किताबें पढ़ी सैकड़ों लोगों के बयान इकट्ठा किए और पिछले उत्तल पुथल से बिक्री कूड़े को साफ करने के लिए आठ खंडों में किताबें लिखी लेकिन आज अगर कोई मुझे से बर्बाद कर देने वाली उस क्रांति के बारे में पूछे जिसने हमारे करीब 6 करोड़ लोगों को निकल लिया तो मैं उसके जवाब में अपने पूर्वजों के उपरोक्त लिखे शब्द ही दोहरा लूंगा, जिसने ईसाई रास्तों को मानवता की सीमा से परे जाकर जहरीले गैस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए दुश प्रेरित किया वैसा ही दोष और

मानवीय चेतना का अभाव द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भी देखा गया जब पश्चिमी दुनिया में परमाणु छतरी जैसे शैतानी महाविनाश के हथियार का लालच जागा ऐसा कर पश्चिमी दुनिया मानो यह कर रही थी सभी चिंताओं को दूर कर दो युवा पीढ़ी को उनके कर्तव्य से विमुख कर दो खुद को सुरक्षित करने का कोई उपाय ना करो दूसरों की रक्षा करने के बारे में कुछ ना कहो पूरब से आती कराओ पर अपने कान बंद कर लो और जीवन में पसंदा की तलाश करने के बजाय किसी भी तरह जीना सीखो अगर खतरे हमें डर आएंगे तो परमाणु बम हमारी रक्षा करेंगे अगर ऐसा नहीं हो सकता तो पूरी दुनिया को जलकर राख हो जाने दो मानवता के सिद्धांत को भूलकर पश्चिम ने अपना नया सिद्धांत गढ़ डाला की वैश्विक शांति बड़े दिल और 

धैर्यशील प्राणियों के बल पर नहीं बल्कि परमाणु बम के जरिए कायम होती है दोस्तोंव्हिस्की ने चेतावनी दी थी कि बड़ी घटनाएं अचानक तब हमें जकड़ लेती है जब वे बौद्धिक स्तर पर हमें बिना तैयारी के पति है उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि बुराइयों के दानों द्वारा दुनिया पर कब्जा जमा लेने के बाद ही दुनिया को बचाने की कोई कोशिश सफल होगी हम दुनिया को बचा पाएंगे या नहीं इसके लिए इंतजार करना होगा और दुनिया को बचाने की कोई भी कोशिश हमारे सद्विचार और आध्यात्मिक चमक पर ही निर्भर करेगी - विचार मशहूर लेखक  एलेग्जेंडर सोल्जरनित्सन (1918 -2008),

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