विश्व सिनेमा में भारतीय सिनेमा का योगदान

विश्व सिनेमा में भारतीय सिनेमा का आने वाले समय में 2030 तक भारतीय सिनेमा का बहुत बड़ा योगदान होगा क्योंकि भारतीय सिनेमा विश्व का सबसे बड़ा सिनेमा है जो हर साल हजारों फिल्में रिलीज करता है हजारों गाने यहां की म्यूजिक इंडस्ट्री बनाती है जिसमें एक क्षेत्रीय बाजार या यूं कहें क्षेत्रीय संगीत बाजार तो छोरी ने जिसका बहुत बड़ा दबदबा है


 भारतीय क्षेत्रीय संगीत में जोकि 2020 में अच्छी खासी आमदनी और टैक्स भी दे रहा है भारत सरकार को इसमें जो क्षेत्रीय बाजार है सिनेमा का उसमें गुजराती, पंजाबी, तमिल ,कन्नड़, महाराष्ट्रीयन हरियाणवी ,राजस्थानी, बिहारी, पूर्वी भाषा ,जौनसारी, गढ़वाली हिमाचली ,कुमाऊनी ,नेपाली ,बंगाली और  आसामी, नागालैंड मिजोरम आदि भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं का दबदबा रहा है और आने वाले समय में 2030 तक यह पूरे भारतीय की जुबां पर छाए रहेंगे और इसका भारतीय सिनेमा पर असर तो होगा और इसका ही पूरे विश्व सिनेमा में भी आपको झलक दिखाई देगी और प्रभाव भी दिखाई देगा जो आगे बढ़ते बढ़ते यह भारत में तो सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला भारतीय सिनेमा है


 जबकि विश्व में भी सबसे ज्यादा रोजगार देने के लिए भारतीय सिनेमा विश्व सिनेमा में बहुत बड़ा योगदान देगा क्योंकि इसमें 1000 से 1500 फिल्म हर साल बनती है जो कि विश्व सिनेमा में किसी भी देश का इतना बड़ा योगदान नहीं रहा है जिसे या जाना जा सकता है कि भारतीय सिनेमा बहुत बड़ा उद्योग है जो कि आने वाले समय में स्पेशल इफेक्ट्स और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को आगे बढ़ा कर बहुत बड़ा योगदान देगा अपने  क्षेत्रीय सिनेमा बाजार जो बरता बाजार हैं और भारतीय सिनेमा में सम आएगा और विश्व में आगे बढ़ेगा  क्योंकि भारतीय सिनेमा विश्व के हर देश के कलाकारों कलाकारों को स्वीकार ता है और उन्हें पहचान भी देता है जिसमें श्रीलंका, इंग्लैंड, अमेरिका, पाकिस्तान, नेपाल आदि देशों के कलाकार हैं जो भारतीय सिनेमा में अपनी पहचान बना चुके हैं भारत में साउथ की फिल्मों का चलन भी उत्तर भारत में जब हो के काफी प्रसिद्ध हो चला है उत्तर भारत के दर्शकों के लिए जिसमें पहले देखा जाता था की साउथ की जो फिल्म है जो तमिल कन्नड़ आदि भाषाओं में बनती थी जो कि  हिंदी भाषा मैं डब हो ना पाने के कारण उत्तर भारत के सिनेमा प्रेमी उन्हें देख नहीं पाते थे जबकि वह एक आदर्श सिनेमा को बढ़ावा देते हैं जबकि बॉलीवुड में आदर्श सिनेमा की कमी है


 जो कि लगातार दर्शकों के द्वारा पसंद और नापसंद के द्वारा फिल्मों में बदलाव लाकर निर्माता समझ रहे हैं 2020 में और यही ट्रेंड आगे भारतीय सिनेमा को विश्व की लंबी  ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा और भारत विश्व का आर्थिक शक्ति बनेगा 2030 तक जिसमें भारतीय सिनेमा का बहुत बड़ा योगदान होगा भारत में दक्षिण भारतीय हिंदी भाषा मै  डब होने वाली फिल्में 2020 नवंबर में जिन की टीआरपी काफी बढ़ गई है उनके साथ इनके अभिनेता जिन्होंने इन फिल्मों में काम करा था उनकी टीआरपी भी बढ़ गई है


जैसे एनटीआर, जूनियर ,अल्लू अर्जुन, महेश बाबू ,विजय, विजय सेतुपति, धनुष आदि को भी पहचाने जाने लगा  है यही भारत की विविधता में एकता है और इसी तरीके से भारत विकसित होने की ओर अग्रसर है और समृद्ध है तुम्हारा ब्लॉक लाइक शेयर और कमेंट करें

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