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21वीं सदी भारतीय अर्थव्यवस्था में जहां आधारभूत शुरुआती सुधारीकरण का दौर है वही सरकार भी सुझाव लेने और सुधारी करण के लिए तत्पर हैं जिसका विरोध होना या पक्ष में होना लाजिम है लेकिन जो पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के किसान जो नए कानून के लिए विरोध कर रहे हैं दिसंबर 2020 में दो-चार दिन से दिल्ली में ही है यह एक तो कृषि सुधार को दर्शाता है और
यह भी दर्शाता है कि 74 साल से भारतीय अर्थव्यवस्था में जो मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी ) की अर्थव्यवस्था जो चल रही थी केवल उत्तर भारत में और सरकार का जो पक्ष है वह सही है और पारदर्शिता लाना और कृषि व्यवसाय को किसानों में डायवर्सिफाई करना है मतलब अगर 40 50 साल से उत्तर भारत के किसानों को एमएसपी का फायदा मिल रहा था और वह किसान वही फसल पैदा कर रहे थे क्योंकि उन्हें पता था कि यहां फसल बिक जाएगी जबकि और फसलों तिलहन दलहन के जो मार्केट प्राइस है वह कम होते हैं इसलिए उत्तर भारत में वह किसान फसल कम ही उगाते हैं
जबकि भारत सरकार की मंशा मंडीयों को और सुदृढ़ करना एमएसपी प्राइस नहीं हटाना और कांटेक्ट फार्मिंग को ज्यादा बढ़ाना और जब की मंडियों का जो विस्तार है वह पूरे देश में बढ़ाना जैसे बिहार मध्य प्रदेश तमिल नाडु महाराष्ट्र आदि राज्य क्योंकि एमएसपी का ज्यादातर फायदा उन किसानों को हो रहा था जो उत्तर भारत के हैं के हैं लेकिन यह 2020 है और कोरोना कॉल है 10,11 महीने से जहां किसानों की काफी आमदनी बढ़ी है कृषि का व्यवसाय बढ़ा है वहीं भारत में अन्य सभी व्यवसाय जो जरूरतमंद नहीं है
इसको करोना काल में उनकी मांग कम रही है सरकार ने बहुत सारे आर्थिक पैकेज या सब्सिडी या मेरिटोरियस स्कीम निकाली है तमाम मध्यम वर्गीय कर्मचारी व्यवसाय सभी के लिए और यह सरकार ने 2,3 कानून भी लाए हैं किसानों से लेकर या यूं कहें कृषि क्षेत्र से लेकर सीधा सा मतलब अर्थव्यवस्था में यह है कि जिस तरीके से भारत में सिविल एविएशन सेक्टर में बहुत सारे बड़े-बड़े दिग्गज कंपनियां ढेर हो गई है
प्रतिस्पर्धा के कारण इसी तरीके से सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में भी बड़ी-बड़ी दिग्गज कंपनियों का हर्ष प्रतिस्पर्धा के कारण बहुत डामाडोल स्थिति हो गई है बड़ी कंपनियों की जबकि कुछ कंपनियां अच्छा काम अच्छी और आखिर में डाटा पर प्रतिस्पर्धा है और छोटे प्लेयर अब बाहर निकल गए हैं जबकि बड़े प्लेयर टेलीकॉम सेक्टर में अभी भी 2020 में संघर्ष कर रहे हैं इसी तरीके से कृषि क्षेत्र में व्यवसाय करने के लिए अगर भारत सरकार कॉरपोरेट सेक्टर को अनुमति देते हैं तो उसके लिए उनको भी जो कॉन्ट्रैक्ट लेंगे किसान से उसमें से पहले तो किसान को फायदा होने चाहिए उस कॉन्ट्रैक्ट का उसके बाद जो प्राइवेट प्लेयर है जो कॉन्ट्रैक्ट में किसान से खेती ले रहा है उसको भी फायदा होने चाहिए जिसका सीधा सा मतलब यह है कि अभी भी भारत में जो बड़े किसान हैं आखिर में कॉन्ट्रैक्ट में ही खेती कर रहे हैं जिसमें की जो ठेके में बड़े किसानों की खेती करते हैं किस तरीके का होगा यह भी एक सोचनीय विषय है इकोनामी के लिए करीब 20 30 साल से बड़े किसान लगभग पूरे भारत में कॉन्ट्रैक्ट मैं खेती छोटे मजदूर या छोटे किसानों से करवा रहे हैं आखिर इसके पीछे यह भी मनसा हो सकती है कि आखिर जो फायदा है वह बड़े किसान को हो जाता है और जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बड़े किसानों के साथ छोटे किसान कर रहे हैं उनको कोई फायदा नहीं होता या यूं कहें आमूलचूल फायदा होता है जिसको सरकार को भी सोचना चाहिए और शायद इसके पीछे यही कारण हो बदलाव का क्योंकि एमएसपी का फायदा अभी भी 70% से लेकर 95% हरियाणा और पंजाब के किसान ही फायदा उठा रहे हैं जबकि और प्रदेश के किसानों को इसका या तो कम फायदा उठाएं या उनके यहां एमएसपी लागू नहीं है
जाऊं क्या मंडिया नहीं है अब यहां और सूदारीकरण भी होगा और एमएसपी फसलों की घोषणा लगभग 24, 25 से ज्यादा फसलों के लिए निर्धारित हर साल होते हैं उसका फायदा ज्यादा से ज्यादा किसानों को पूरे भारत में हो और जो कानून बनाए हैं भारत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए वह छोटे किसानों से लेकर बड़े किसानों तक सभी को फायदा पहुंचेगा, यह एक बहुत बड़ा बदलाव है कृषि सेक्टर में और अब बड़े किसानों को भी यह सोचना होगा उत्तर भारत के कि उन्हें एक फसल पर फोकस ना करके अपने कृषि के व्यवसाय को डायवर्सिफाई तो अब उसको इसके साथ उसी तिलहन, दलहन सब्जियां आदि लगाने चाहिए व्यवसाय को डायवर्सिफाई करके आप व्यवसाय समझ सकते हैं
आगे कृषि व्यवसाय में एक समृद्ध किसान या एक समृद्ध किसान व्यवसाई बन सकते हैं भारत में उपरोक्त किसान आंदोलन या संक्षेप में कहा जाए तो बात यह है कि अभी भारतीय अर्थव्यवस्था एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था भी है लेकिन कृषि में अब जो बदलाव की जरूरत है उसके लिए किसान उतने जागरूक या साक्षर नहीं है या उसमें समझ कम है या समझ नहीं पा रहे हैं जो नए नियम आए हैं जो कि एक प्रायोजित भी हो सकते हैं आखिर इसमें सरकार किसानों के क्षेत्र में जाकर के जागरूकता किसी भी माध्यम से कर सकती है जिसका फायदा समय रहते किसान उठा सकते हैं क्योंकि व्यवसाय की सीधी भाषा यह है क्वालिटी का काम होगा तो क्वालिटी की इनकम भी होगी, भारत देश समय रहते बदलाव के लिए अग्रसर है और विकसित देश होने के लिए अग्रसर है! और धन्यवाद पूरे लेख पढ़ने के लिए अगर आपको अच्छा लगता है लाइक शेयर करें और कमेंट भी
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